What are Anxiety and its solution full guide in Hindi चिंता का कारण और उसके उपचार

चिंता का कारण और उसके उपचार, चिंता मानसिक रोग होने के साथ एक शारीरिक रोग भी है. क्यूंकि चिंता जब हम करते है तो मन ही मन करते है, लेकिन उसकी प्रतिक्रिया बाहर दिखती है.

चिंता, तनाव, डर ये सब एक ही नाम है. सामान्यतः सभी व्यक्ति चिंता करते है, सभी को कभी ना कभी डर का आभास अवश्य होता है. चिंता का अनुभव व्यक्ति को तब होता है, जब वह किसी परीक्षा के लिए या किसी के आने का इन्तजार करता है.

जब हम चिंता करते है तब चेहरे की 72 नसें और मांश-पेशियाँ उपयोग में लाते है. लेकिन जब आप मुस्कुराते तब इनमे से सिर्फ 4 का उपयोग करते है.

चिंता का मुख्य कारण है हमेशा भूत या भविष्य में जीना. चिंता को भय या आशंका के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. हृदय गति का तेज होना, सांस फूलना, बेहोश हो जाना भूख ना लगना इत्यादि चिंता के लक्षण हैं.

चिंता का प्रकोप कभी कभी इतना भयंकर होता है की मनुष्य को कई तरह के भयंकर से भयंकर रोग हो जाता है, व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है.

आज हम चिंता के कारण और उसके उपचार के बारे में जानेंगे. इस लेख को प्रकाशित करने का मकसद लोगों को चिंता से बाहर निकलने के लिए एक कोशिश है.

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Anxiety Problems and Solutions

अक्सर लोग आपने काम और कमाई को लेकर तो कुछ लोग पारिवारिक समस्याओं की वजह से चिंताग्रस्त हो जाते हैं. चिंता चिता के सामान है. इससे बाहर निकल कर ही कुछ हासिल किया हजा सकता है.

  1. चिंता क्या है
  2. चिंता के लक्षण
  3. चिंता केकारण
  4. चिंता के उपचार

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Table of Contents

चिंता क्या है?

चिंता एक ऐसे भय है जो व्यक्ति में बहुत ज्यादा समय तक बना रहता है. यह भी साफ़ नहीं हो पाता है किस बात का भय है. इस प्रकार का भय किसी विशिष्ट वस्तु से जुड़ा हो भी सकता है या नहीं भी.

चिंता अन्य रोगो के अपेक्षा व्यक्तियों में ज्यादा पाई जाती है. “अपराधबोध से पीड़ित व्यक्ति बेचैनी का अनुभव करता है. वह अस्पष्ट और दिशाहीन स्तिथि का अनुभव करता है, जिसका स्रोत वह स्वयं भी नहीं बता पाता है.” 

इस रोग के प्रमुख विशेषता रोगी की व्यापक और दिशाहीन चिंता है जो किसी विशेष पदार्थ से उत्पन्न होती हुई प्रतीत नहीं होती. इस चिंता से किसी विशेष लक्ष्य, गंतव्य दिशा का ज्ञान भी नहीं होता है.

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चिंता के लक्षण

सामान्यतः चिंता में भविष्य के लिए आकुलता, सतर्कता आदि लक्षण पाए जाते है. इसके अंतर्गत व्यक्ति का पेशिया तनाव भी सम्मिलित होता है, जिसमे व्यक्ति कमजोर और तनावग्रस्त रहता है, परेशान सा रहता है तथा आराम नहीं कर पाता है.

इस स्तिथि में रोगी को लगातार चिंता बनी रहती है. भय और आशंका की भावना का विस्तृत रूप ही चिंता है. इस स्तिथि में दौरे पड़ना, बार- बार पेशाब आना, रक्तचाप बढ़ जाना, सांस फूलना, अपचता की शिकायत होना, आदि ऐसे लक्षण व्यक्ति के अंदर पाए जाते है. 

ऐसे स्तिथि में व्यक्ति को लगातार अर्थात बिना रुके दौरे पड़ते रहते है, जिसमे व्यक्ति को डर सा लगता रहता है. इसके अतिरिक्त मानसिक रोगो में भी चिंता के कुछ लक्षण पाए जाते है, परन्तु उन लक्षणों और चिंता के लक्षणों में बहुत अंतर होता है.

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चिंता के कारण

निर्णय – सामान्यतः वह व्यक्ति अपनी परेशानियों का निष्कर्ष नहीं निकाल पाते जिनमे अहम् शक्तियों की कमी होती है. जिसकी वजह से कभी-कभी उन्हें अपने संवेदनशीलता के कारन अपनी आत्म-रक्षा के धूमिल होने की आशंका हो जाती है. जिसके कारण व्यक्ति को अत्यधिक चिंता हो जाती है.

निराशा – चिंता का एक मुख्य कारण निराशा भी है. व्यक्ति का अपने जीवन में कई क्षेत्रों में विफल होने के कारण उत्पन्न होने वाली निराशा व्यक्ति की चिंता का मुख्य कारण है.

अप्रिय इच्छा – कभी-कभी व्यक्ति के सामने ऐसे स्तिथि आती है, की वह अपनी कुछ इच्छाओं पर नियंत्रण तो करना चाहता है लेकिन, वह इच्छाएं बार-बार उसके चेतन में आने से उस व्यक्ति के अंदर आत्म-अवमूल्यन की भावना पैदा हो जाती है.

अन्य कारण – इन कारणों के आलावा भी चिंता के कुछ कारण हैं. जैसे अधिक विषमता, परिवार के वातावरण का अशांत होना, जीवन में अत्यधिक कठिनाइयाँ एवं समस्याएं, अरुचिकर व्यवसाय आदि.

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चिंता के उपचार

औषधि द्वारा – चिंता से ग्रस्त व्यक्ति को हल्की प्रशान्तक औषधियों का सेवन करने से थोड़ा बहुत आराम मिलता है. परन्तु उसकी जीवन शैली में कोई परिवर्तन नहीं होता है. इसीलिए इस उपचार को रोगी का स्थायी उपचार नहीं समझा जाता है.

मनोचिकित्सा द्वारा – इस चिकित्सा से चिंता के रोगियों को स्थायी रूप से आराम मिलता है. मनोचिकित्सक इस विधि के अंतर्गत व्यक्ति को काल्पनिक और वास्तविक परिस्थितियों के मध्य भेद करना सिखाते है, जिससे व्यक्ति चिंता से मुक्ति प्राप्त कर लेता है. इस रोगो के उपचार के लिए यह विधि सबसे उत्तम है.

मनोविश्लेषण विधि – इस विधि में रोगी की काम शक्तियों को दमित इच्छाओँ द्वारा व्यक्त करने का मौका दिया जाता है. जिसके फलस्वरूप व्यक्ति दमित इच्छाओँ से पैदा हुए मानसिक तनावों से मुक्ति पा लेता है.

तनाव प्रबंधन – यदि आप अपने चिंता को दूर करना चाहते है, तो उसके लिए सबसे जरुरी है तनाव का कम करना. तनाव कम करने का व्यायाम आसान सा तरीका है. यदि आपको किसी चीज का शौक है तो उसके लिए समय निकाले, ऐसा करने से आपको अच्छा महसूस होगा.

साथ ही खान-पान पर भी नियंत्रण रखे, संतुलित एवं सही डाइट लें. नियमित योग करे, प्राणायाम करें. रोज रात को सोने से पहले एक डायरी लिखे जिसमे अपने पुरे दिन का विवरण लिखें. ऐसा करने से आप चिंतामुक्त रहेंगे और अपनी जिंदगी सही तरीके जी सकेंगे.

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सारांश

चिंता और चिता दोनों एक सामान है. दोनों में शरीर जल रहा होता है. चिंता में हम खुद से शरीर जलाते हैं जबकि चिता कोई कोई और आग लगता है.

चिंतित होना एक स्वाभाविक घटना है. यह तब महसूस होता है जब व्यक्ति किसी भी तरह के वास्तविक या कथित खतरे का सामना करता है. भीड़ के सामने बोलने, कैमरे का सामना करने या परीक्षा में प्रवेश करने से ठीक पहले एक व्यक्ति चिंता का अनुभव कर सकता है.

कुछ लोगों के लिए यह चिंताजनक महसूस करने का सामान्य अनुभव अधिक सामान्य और अक्सर होता है. इससे उनके दैनिक जीवन के कार्य और रिश्तों में क्लेश आदि का हस्तक्षेप होने लगता है.

इस क्लेश से बचने के लिए जीवन में खुश रहना जरूरी है. खुशहाली ही जीवन का मूलमंत्र है. यदि खुश नहीं रह सकते हैं तो दुखी होना उसका विकल्प नहीं है.

चिंता संबंधी समस्याएं लोगों में आम है. कई शोध अध्ययन से पता चलता है कि ये आमतौर पर बचपन में या वयस्कता के शुरुआती दौर में शुरू होती है, और यह समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है.

मेरी सलाह है खुश रहिये यदि किसी बात का चिंता है तो उसे दूर कीजिये. यदि चिंता करने से समस्या का निपटारा हो सके तो चिंता जरूर करना चाहिए.

यदि चिंता करने से समस्या का निपटारा नहीं हो सकता है तो चिंता करने में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहिए. समस्याओं से घिरने के बजाय उससे छुटकारा पाने की कोशिश करना चाहिए.

चिंता की जगह चिंतन करना चाहिए. इससे आगे का जीवन ज्यादा आसान हो जायेगा.

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Riya Jha

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