Women Rights in India in Hindi, Legal rights of women in India in Hindi कानूनी अधिकार जो हर महिला को पता होना चाहिए. देश दुनिया बहुत तेजी से बदल रहा है हर व्यक्ति आपने जीवन में इतना भाग दौर कर रहा है की जाने अनजाने में कुछ गलतियां हो जाती है. अब तो महिलाएं भी घर से बाहर काम कर रही है. कई बार उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और थाने पुलिस का चक्कर काटना पर जाता है. ऐसे में महिलाओं को आपने कानूनी अधिकार जानना चाहिए.
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Women Rights in India in Hindi
आज के दौर में महिलाएं पुरुषो से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. भारतीय संविधान ने सभी को एक सामान अधिकार दिया है. आज महिलाओं की खुद के लगन और मेहनत को नाकारा नहीं जा सकता है. लेकिन, महिलाओं के शिक्षित होने के बावजूद भी उनका शोषण हो रहा है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए महिलाओ से जुड़े कुछ क़ानूनी अधिकार share की जा रही है. जो इस देश की सभी महिला को पता होना चाहिए.
हर क्षेत्र में महिलाएं अपना परचम फहरा रही हैं चाहे शिक्षा हो या फैशन की दुनिया हो. आज महिलाएं मेहनत भी कर रही हैं और अपने करियर को लेकर गंभीर हैं. लेकिन, शारीरिक, मानसिक और यौन उत्पीड़न ज्यादातर के जीवन की हिस्सा बन गई हैं. ऐसे में महिलाओं को अपने अधिकारों के बारें में जानना चाहिए.
Women Rights के बारे में बहुत से ऐसे अधिकार दिए गये है जो महिलाओं के मान सम्मान की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है.
Live In Relationship
- ऐसे रिश्ते में महिला (Female) को विवाहित महिला के बराबर हक़ मिलता है.
- यदि पुरुष पार्टनर महिला पार्टनर को मानसिक या शारीरिक रूप से परेशां करता है तो महिला घरेलु हिंसा कानून की सलाह ले सकती है.
- इस रिश्ते से पैदा हुआ बच्चा का संपत्ति में भी अधिकार होता है.
- शादी शुदा पुरुष यदि Live In Relationship में रहता है तो पहली पत्नी के सभी खर्च भी उठाना होगा.
Child Rights
- Delivery से पहले बच्चे का लिंग चेक करने वाला डॉक्टर और एबॉर्शन का दबाव बनाने वाला पति दोनों ही अपराधी है.
- हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत पत्नी अपने बच्चे की सुरक्षा, पोषण और शिक्षा के लिए निवेदन कर सकती है.
- हिन्दू एडॉप्शन और सेक्शन अधिनियम के तहत कोई भी वयस्क (विवाहित और अविवाहित) महिला बच्चा गोद ले सकती है.
- विवाहित महिला पति के सहमती से ही गोद ले सकती है.
Real Estates Rights
- हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के तहत पत्नी पति के संपत्ति में बंटवारे की मांग कर सकती है.
- हिन्दू विवाह अधिनियम 1954 के तहत महिलाएं संपत्ति के बंटवारे की मांग नहीं कर सकती थी. लेकिन अब पुरखों द्वारा अर्जित संपत्ति में भी हिस्सा पाने का पूरा अधिकार है.
- विधवा बहु ससुर से गुजरा भत्ता और संपत्ति में हिस्सा की हक़दार है.
- विवाहित महिला को पति की संपत्ति में बराबर का हक़ है.
Working Women Rights
- यौन संपर्क के प्रस्ताव को न मानने के कारण कर्मचारी को काम से निकालना पर कार्रवाई का प्रावधान है.
- सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद महिलाओं को काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
- यदि महिला शाम के 6 बजे के बाद Office में नहीं रुकना चाहती है तो उसे रुकने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.
- ऑफिस में होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ महिलायें शिकायत दर्ज करा सकती हैं.
- समान काम के लिए महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन पाने का अधिकार है.
- Delivery के बाद महिलाओं को तीन माह की वैतनिक (सैलरी के साथ) मेटर्निटीलीव दी जाती है.
- महिला चाहें तो तीन माह तक अवैतनिक (बिना सैलरी लिए) मेटर्निटी लीव ले सकती हैं.
- यदि पत्नी पति के साथ न रहे तो भी उसका दाम्पत्य अधिकार कायम रहता है.
- यदि पति-पत्नी साथ नहीं भी रहते हैं या विवाहोत्तर सेक्स नहीं हुआ है तो दाम्पत्य अधिकार के प्रत्यास्थापन की डिक्री पास की जा सकती है.
- हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत, विधवा अपने मृत पति की संपत्ति में अपने हिस्से की पूर्ण मालकिन है.
- पुनः विवाह कर लेने के बाद भी उसका यह अधिकार बना रहता है.
- अन्य समुदायों की तरह मुस्लिम महिला भी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत गुजाराभत्ता पाने की हक़दार है.
- मुस्लिम महिला अपने तलाकशुदा पति से तब तक गुजाराभत्ता पाने की हक़दार है जब तक कि वह दूसरी शादी नहीं कर लेती है.
बहुत ही बढ़िया जानकारी है महिलाओ पर