NPA Kya Hai पिछले कुछ सालों से देश में यह बहुत चर्चा में बना हुआ है. इसका वजह देश के कुछ बहुत बड़े व्यवसायी हैं. व्यवसायी और व्यापारी में अंतर है. इस अंतर को समझना बहुत जरूरी है. व्यापारी की वजह से बहुत ज्यादा का नुक़सानन नहीं है. लेकिन, व्यवसायी की वजह से बहुत ज्यादा नुक़सान और फायदा हो सकता है. No Risk No Gain, More Risk More Gain. पिछले कुछ सालों में ललित मोदी, विजय माल्या और नीरव मोदी ने यह पाठ पढ़ाया है. इनका नाम सुनते ही कुछ बातें समझ आ गयी होगी.
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What is NPA in Hindi
NPA का फुल फॉर्म Non-performing Asset है. जिसका हिंदी मतलब गैर निष्पादित संपत्ति होती है. जब कोई देनदार यानी बैंक का कर्जदार अपने बैंक की EMI देने में नाकामयाब रहता है तब उसका लोन अकाउंट Non-performing asset यानी NPA कहलाता है. यानी बैंक का वो कर्ज जो डूब गया है और जिसके फिर से मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर है उसे NPA कहते हैं.
जब भी कोई फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स किसी को किसी भी तरह का लोन देती है, (जैसे एजुकेशनल लोन, हाउस लोन, बिज़नेस लोन, गोल्ड लोन, पर्सनल लोन, कार लोन, बाइक लोन, कमर्शियल व्हीकल लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन, क्रेडिट लोन, प्रोजेक्ट लोन, ओवर ड्राफ्ट, कृषि लोन, कमर्शियल प्रॉपर्टी लोन, इसके अलावे भी कई लोन है.) और यदि तीन महीने मतलब 90 दिनों तक उसका ब्याज जमा नहीं किया गया तो बैंक उस अकाउंट को NPA घोषित कर देता है. या ऐसे समझे जब किसी लोन से बैंक को तीन महीने बाद भी रिटर्न मिलना बंद हो जाता है. तब वह उसके लिए NPA या बेड लोड हो जाता है. लोन के कई क्लासिफिकेशन जैसे स्टैंडर्ड, सब स्टैंडर्ड, डाउटफुल और लोस एसेट होता है.
जब लोन अकाउंट NPA होता है तो समझिये उस पैसे का इकनोमिक में कोई भी योगदान नहीं रहता है. जब आम आदमी 1 लाख या 5 लाख तक का ब्याज नहीं वापिस कर पाता है, तो बैंक वाले हर तरह के हथकंडे अपनाना शुरू कर देते हैं. लेकिन, जो लोग करोड़ो रुपया ले कर देश छोड़ कर भाग जाता है और बैंक गवर्नमेंट को नोटिस देती है. लेकिन, जब तक बैंक नोटिस देती है तब तक वह व्यवसायी देश छोड़ चूका होता है.
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लोन अकाउंट NPA कब होता है?
जब भी कोई व्यक्ति किसी फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स से लोन लेते हैं और फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स लोन अमाउंट के साथ कुछ ब्याज के साथ यह पैसा वापिस लेता है. लेकिन कुछ वजहों से जब व्यक्ति यह लोन अमाउंट ब्याज सहित लगातार तीन महीने तक नहीं लौटा पाता है तो फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट इस तरह के आकउंट को NPA घोषित कर देता है. इसके बाद बैंक लगातार नोटिस भेजती है. लेकिन अब क्या होगा? जब पैसा है ही नहीं! जब नोटिस के बाद भी पैसा नहीं लौटते हो तो बैंक उस लोन के बदले जो Mortage Document लेती है. उसके आधार पर दी गई प्रॉपर्टी जब्त कर लेती है. कोई भी फाइनेंसियल इंस्टीटूशन बिना किसी Mortage के लोन नहीं देती है.
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NPA का नुकसान
लोन फाल्ट होने की वजह से बैंक दिवालियापन के कगार पर आ जाती है. लेकिन, इसके लिए भी RBI ने कुछ प्रोविजन नियम बनायें है. बैंक को प्रोविजन की रकम बिजनेस से अलग रखनी पड़ती है एक रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समय भारतीय बैंकों में 8.50 लाख करोड़ का NPA है. यह रकम 10% होती है जो की काफी ज्यादा है.
एनपीए की वजह से बैंकों को मिलने वाला लाभ कम हो जाता है, इससे सरकार के पास राजस्व कम पहुंचता है. ऐसे में सरकार की निवेश करने की क्षमता में गिरावट आती है और देश के विकास की रफ्तार कम हो जाती है, साथ ही बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती है. आज देश की यह स्थिति का कारन समझ आ गया होगा. और ऐसे में इस NPA से निजात पाने के लिए बैंक इन्वेस्टमेंट पर ब्याज दर काम और लोन अमाउंट पर ब्याज दर ज्यादा लेती है.
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इसी वजह से वर्ष 2007 में वैश्विक मंदी आई. इस मंदी के दौर में बैंकों ने बड़ी भूमिका निभाई उसके बाद बैंकों को तुरंत सशक्त करने के कदम नहीं उठाए जाने से देश की अर्थव्यस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़े. इसकी वजह से कई बड़ी समस्या निकलकर सामने आई जिसमे पहली थी लोन देने से बैंक परहेज करने लगे, दूसरा एनपीए की समस्या का स्थाई समाधान नहीं होने की वजह से कई बड़े प्रोजेक्ट पर ब्रेक लग गया, बैंक इन प्रोजेक्ट्स के लिए और पैसा देने की स्थिति में नहीं थे, जबकि तीसरी असर यह पड़ा कि उद्योगपति कर्ज में डूब गए और नया लोन लेने की स्थिति में नहीं थे. इसके बाद कुछ व्यवसायी देश छोड़ कर भाग गए.
DEBT RECOVERY TRIBUNALS क्या है?
- 1990 के पहले बैंक को Bad Loan, Recover करने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
- कुछ लोगों ने तो उल्टा बैंक पर ही केस कर दिया और फिर क्या तारीख पे तारीख…तारीख पे तारीख…. इस तरह एक और दामिनी हिंदी फीचर फिल्म बन गई.
- 1993 में सरकार ने NPA Recovery के लिए Debt Recovery Tribunals का गठन किया.
- अब लोन लेने वाला कोर्ट में अपील नहीं कर सकता है.
- NPA से सम्बंधित सभी केस Debt Recovery Tribunals (DRT) में ही चलता है.
- दुर्भाग्य की बात यह है DRT में अभी 75 हज़ार से अधिक Cases Pending हैं.
- 2002 में गवर्नमेंट ने एक एक्ट SARFAESI Act लाया. इसके बारें में निचे विस्तार से दिया गया है.
SARFAESI Act क्या है?
SARFAESI का फुल फॉर्म Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002 है. इसे सही से समझने के लिए एक उदहारण लिया गया है.
मान लीजिये रुनझुन ने 1000 करोड़ की लगत से एक फैक्ट्री लगाई. जिसमें वह हेल्थ और ब्यूटी पप्रोडक्ट्स का मैन्युफैक्चरिंग करेगा.
- खुद का पैसा 200 करोड़,
- IPO / Public का पैसा 300 करोड़,
- बिज़नेस लोन बैंक 400 करोड़,
- और बैंक बांड 100 करोड़.
किसी भी काम के शुरुआत में मोटिवेशन लेवल हाई होता है और ऐसा ही हुआ शुरुआत में रुनझुन की कंपनी जब्बरदस्त काम कर रही थी और समय के साथ जिस 4G डाटा ख़त्म होने के बाद स्पीड काम हो जाता है वैसे ही मोटिवेशन का लेवल काम हो गया. किताब की पढाई और इंटर्नशिप का ज्ञान भी काम करना बंद कर दिया और कंपनी में लोस्स का शुरुआत हो गया. अब जो पैसा बैंक से लिया गया था उसका EMI भरना बंद कर दिया. जब लगातार तीन महीने तक EMI जमा नहीं हुआ तो बैंक ने नोटिस भेजा तो रुनझुन क्या करेगा जब धंधा ही मंदा है. यहाँ तो सैलरी देने के लिए पैसे नहीं है बैंक का EMI तो आगे की सोच है. अब बैंक ने जो लोन अमाउंट 400 करोड़ दिया था उसे NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया. बैंक के NPA घोषित करते ही SARFAESI Act के अंतर्गत लोन Recover करने के लिए प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
Powe of SARFAESI Act
- रुनझुन का एसेट्स (Residentials, commercial, Fixed Deposit, Investment) बैंक कोर्ट आर्डर के बगैर जब्त कर सकती है.
- एसेट्स का बैंक करेगी क्या तो इसके लिए Auction/Sale कर सकती है.
- कुछ लोग ज्यादा चालक होते हैं वो पहले से ही किसी तीसरे को अपना प्रॉपर्टी बेच देते हैं. अब बैंक क्या करेगी तो तीसरे इंसान से भी सभी प्रॉपर्टी जब्त कर लेती है.
- यदि किसी के पास रुनझुन का किसी भी तरह का चल, अचल संपत्ति है तो उसे भी जब्त कर लेती है.
NOTE
- SARFAESI के अंतर्गत 10 लाख तक के लोन का मामला ही आ सकता है.
- SARFAESI केवल उन परिसंपत्तियों पर ही लागू होता है जो ऋण प्राप्त करने के लिए गिरवी रखा जाता है.
इसके अलावे यदि रुनझुन ने बैंक से business loan लिया है तो बैंक उसे अपने बिज़नेस में काम आने वाले सभी सामान को मॉर्गेज के रूप में रखने को बोलता है. बैंक SARFAESI के नाम पर निजी घर, फर्नीचर, या बच्चे की साइकिल नहीं ले सकता है. कृषि योग्य जमीन (Agricultural land) को भी SARFAESI act से बाहर रखा गया है.
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NPA Kya Hai, NPA in India, NPA meaning, NPA Classification इसकी समुचित जानकारी आपको मिल चुकी है. यदि इससे सम्बंधित कोई प्रश्न या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
भारत sarkar द्वारा NPA से निपटने के क्या उपाय किए गए हैं?
Bank Loan Recovery के लिए कई कानून है. लेकिन, हर जगह कुछ Loop Whole है, इससे बाहर निकलने के लिए कुछ सख्त उपाय जरूरी है.
मैं २००८ मैं निजी कारण से बैंक म
े होम लोन की ईएमआई नहीं का सका २००९ में ईएमआई पुन:चालू कर दी २०१२ में बैंक ने मेरे से किस्त लेना बंद कर न्यायालय में वाद दायर कर दिया। २०१५ मे बैंक के अधिकारियों ने मुझसे ६००००० लाख मे समजोता कर लिया किन्तु पुराने अधिकारी ने icici की नौकरी छोड़ दी। अब मैं क्या कुरु।