Corporate Finance Kya Hai कॉर्पोरेट का मतलब है, संगठित, संयुक्त, सम्मिलित, सामाजिक, सामूहिक, क्या इतने सारे शब्दों का मतलब समझ आया? कॉर्पोरेट फाइनेंस में किसी संगठन, समाज, समूह के फाइनेंसियल प्लानिंग और फ्रीडम की बात करते हैं.
किसी भी कंपनी को सही तरीके से चलाने के लिए कंपनी में कई स्तर पर काम किया जाता है. कुछ कंपनी में ओनर ही सभी तरह के निर्णय लिया करता है, तो कुछ कंपनी की टीम निर्णय लेती है. वास्तव में होना भी यही चाहिए. एक अकेला व्यक्ति का निर्णय गलत हो सकता है, यदि उसका परिणाम भी गलत मिला तो कोई कुछ कह नहीं सकता है. जानते हो क्यूँ? क्यूंकि निर्णय मालिक का था. इसीलिए टीम छोटी ही क्यूँ न हो लेकिन, निर्णय टीम का होना चाहिए.
Table of Contents
Corporate Finance Kya Hai
पर्सनल फाइनेंस में किसी व्यक्ति के आय, व्यय का प्लानिंग और फ्रीडम की बात की गई है. यहाँ युद्ध स्तर पर आय, व्यय और फाइनेंसियल फ्रीडम के बारें में सोचना होता है. कंपनी, संगठन, समूह यह किसी एक से नहीं है. यह व्यक्ति नहीं है. यह एक सिस्टम है. व्यक्ति समय पर काम नहीं कर सकता है. लेकिन, सिस्टम समय पर ही काम करेगा.
क्या आपके फ़ोन का पैटर्न लॉक गलत होता है तो फ़ोन अनलॉक होता है क्या? बिलकुल नहीं, क्यूंकि फ़ोन व्यक्ति नहीं है सिस्टम है. कोई आप से फ़ोन मांगें आप दे सकते हो अनलॉक कर दे सकते हो. लेकिन, फ़ोन सामान्य प्रक्रिया से उससे अनलॉक नहीं होगा.
किसी ऑफिस में कर्मचारी नहीं है फिर भी काम सुचारु रूप से चलता है. एक दो दिन के परेशानी हो सकती है. लेकिन, यह परेशानी हमेशा नहीं हो सकती है. जीवन और व्यापार दोनों ही जगह सिस्टेमेटिक होना जरूरी है. जिसने सिस्टम को अपनाया व्यवसायी बन गया और जिसने ओने मन आर्मी शो करने की कोशिश किया और सफलता पा लिया तो व्यापारी बन गया. यह आपके हाथ में है. व्यवसायी बनना है या व्यापारी बनना है.
How does Corporate Finance Work
किसी भी कंपनी में कॉर्पोरेट फाइनेंस फंडिंग सोर्स पर ध्यान देता है. कंपनी ग्रोथ के लिए फण्ड कहाँ से लाया जाये. कंपनी का कैपिटल स्ट्रक्चर क्या है, मतलब कंपनी के पास कितना पूँजी है? यह ऐसे तरीका का खोज करता है जिससे कंपनी और कंपनी के शेयर का वैल्यू बढ़ सके. यहाँ मिनिमम रिसोर्सेज में मैक्सिमम आउटपुट लेने की तरीका के बारें में बात की जाती है. कॉर्पोरेट फाइनेंस का की जिम्मेदारी है, कंपनी, संगठन, समूह के सभी तरह के फाइनेंसियल कार्यों का नियमित और सुचारू तरीके से संचालन करना.
Top 10 Best Direct Selling companies in India
सही Corporate Financier का काम कंपनीके साथ कंपनी के कर्मचारी के बारें में सोचना होता है. कई कर्मचारी से टीम बना है और कई टीम से एक कंपनी बनता है. कंपनी फाइनेंसियल फ्रीडम में है इसका मतलब कंपनी का कर्मचारी भी फाइनेंसियल परेशानी से मुक्त हो. लेकिन, बहुत ही दुःख से कहना पर रहा है. बहुत काम ही कंपनी है जो एम्प्लोयी के लिए कुछ अच्छा करती है. सोचती तो सभी कंपनी है अच्छा करेंगें लेकिन, अच्छा करने वाले बहुत काम हैं.
Capital Structure
कॉर्पोरेट फाइनेंस के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निवेश और निवेश का सही तरीका होना चाहिए. निवेश के बिना लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है. और यदि कहीं से निवेश मिल भी गया लेकिन, निवेश का तरीका सही नहीं है तो भी लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता है. निवेश का स्रोत (Source) क्या हो सकता है? या तो कोई बहरी कड़ी निवेश करें या कंपनी का शेयर खरीदने लायक हो. इससे कैश फ्लो और हर्डल रेट दोनों ही प्रभावित हो सकता है. कई बार कुछ बातों को दर किनार कर भी काम किया जाता है. लेकिन, इससे पहले आश्वस्त हो जाये जो आप करने जा रहे हैं उसका परिणाम नेगेटिव तो न ही हो. पर्सनल फाइनेंस में भी बताया गया है. पैसा कामना और उसे बचत / निवेश करना दोनों में बहुत अंतर है. यहाँ भी कंपनी के विकास के लिए निवेशकर्ता ढूंढना, निवेश करवाना और उस निवेश से कंपनी को आगे ले जाना सभी में अंतर है. एक गलत निर्णय पूरा पैसा डूबा सकता है.
कॉलेज स्टूडेंट के लिए पार्ट टाइम जॉब Part time job for student
कपिटल का सोर्स क्या है और कैसे काम करता है इसके बारें में भी समुचित जानकारी होनी चाहिए. कैपिटल के लिए तीन सोर्स होता है.
- डेब्ट कैपिटल : कंपनी चलने के लिए कुछ रेगुलर खर्च होता है. जिसमें रेंट, सैलरी, ऑफिस एक्सपेंसेस है. इसी कैपिटल से कंपनी काम कर रही होती है. यह डेब्ट अमाउंट किसी भी फॉर्म में हो सकता है. जैसे बैंक लोन, हार्ड कैश, बांड्स. कई कंपनी लोन लेकर एम्प्लोयी को सैलरी और किराया देती है. कहने का मतलब कंपनी को चलने के लिए लोन लेना होता है. यदि बैंक लोन है तो इसके लिए हर महीने कुछ ब्याज चुकाना होता है. यह ब्याज का रकम तब तक चुकाना है जब तक लोन अमाउंट ख़त्म न हो जाये.
- इक्विटी कैपिटल : इक्विटी का मतलब शेयर से है. कंपनी ग्रोथ के लिए इन्वेस्टर से इन्वेस्ट करवाने के लिए इन्वेस्टर को भी कुछ चाहिए बिना किसी डॉक्यूमेंटेशन के वह किसी कंपनी में पैसे क्यों लगाएगा? ऐसे में इन्वेस्टर को कंपनी का शेयर देना होता है. यदि कंपनी प्रॉफिट में है अच्छे दिन चल रहे हैं, विकास हो रहा है तो शेयर की वैल्यू बढ़ेगी। इन्वेस्टर खुश रहेंगें. ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर खरीदना चाहेंगें. इसके विपरीत स्थिति में हालात भी विपरीत ही होगा.
- प्रिफर्ड स्टॉक :
Working Capital Management
कंपनी का एक्टिव फाइनेंस जो चल रहे व्यावसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए इस्तेमाल में है. उसका प्रबंधन ही वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट है. कॉर्पोरेट फाइनेंस का लॉन्ग टर्म लक्ष्य कंपनी को आर्थिक रूप से मजबूत और कंपनी का बाजार वैल्यू, शेयर्स का मूल्य ज्यादा से ज्यादा हो. वर्किंग कैपिटल का मतलब इससे भी है कि Now Company is able to operate. कंपनी एक स्तर पर फाइनेंसियल फ्रीडम हासिल कर चुका है. जब कोई भी संस्था अपना खर्च निकालने में सक्षम हो जाता है तो समझ जाओ प्रोजेक्ट आईडिया और संस्था में में दम है. जिसे सफल करने के लिए टीम मेंबर ने लगातार मेहनत किया.
वर्किंग कैपिटल का प्रबंधन कैसे करें
मैनेजमेंट का मतलब है बनाये गए नियम, कानून और शर्त का अनुपालन करना और यही सिस्टम है. किसी भी कार्य के लिए सिस्टम को फॉलो करना जरूरी है. सिस्टम फॉलो करने के बाद ही सफलता हाथ लग सकता है. वर्किंग कैपिटल मैनेज करने के लिए चार बातें सीखना होगा.
Business Ke Liye Loan Apply Kaise Kare Full Guide
- Cash Management
- Inventory Management
- Debtors Management
- Short Term Financing
Financial Risk Management
रिस्क सभी जगह है. जब किसी लड़की को प्रोपोज़ करना हो वहां भी रिस्क है. लेकिन, जीवन में जरूर रिस्क लिया होगा और यदि नहीं लिया तो अगले वैलेंटाइन का इंतज़ार करो. हां यदि लड़की ने प्रोपोज़ किया तो वह प्रोपोज़ नहीं ऑफर कहलाता है. क्यूंकि, ऑफर में कोई न नहीं बोलता है. कुछ ऐसा ही है फाइनेंसियल रिस्क मैनेजमेंट. रिस्क को फाइनेंस डिपार्टमेंट मैनेज कर रहा है या रिस्क डिपार्टमेंट को मैनेज कर रहा है. एक उदाहरण से समझो
- वो मुझे देखकर है, हस रही थी.
- वो मुझे हस के देख रही थी.
कुछ समझ आया क्या समझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताना. नीचे अपना ईमेल से जरूर सब्सक्राइब करें. जिससे सभी नए पोस्ट की जानकारी आपके ईमेल तक होगी.
You May Also Read
Business Ke Liye Loan Apply Kaise Kare Full Guide
बैंक लोन का फायदा और नुकसान Pros and Cons of Bank Loan
Top 10 Finance Companies in Delhi
क्रेडिट कार्ड के बिना ऑनलाइन प्रोडक्ट EMI पर कैसे खरीदें?
Corporate Finance के सम्बंधित यदि कोई प्रश्न हो कुछ गिला। शिकवा, शिकायत हो तो कमेंट में जरूर पूछ सकते हैं. कॉर्पोरेट फाइनेंस में मुख रूप से कंपनी, कारपोरेशन के ग्रोथ की बात बताई गई है.
People May Also Search : corporate finance kya hai, corporate finance meaning, corporate finance course, corporate finance careers.
Foreign trade law ke bare me bhi draft bheje