Friends How are you ? मै Riya Jha एक नए Post के साथ फिर से आ गई. आज के पोस्ट में मै बात करुँगी Some Interesting Fact जो शायद आप नहीं जानते ! कोई बात नहीं इस Post को पढ़ कर आप जान जायेंगे. एक शिकायत है आप लोगो से मेरे Post पर आपका Comment नहीं आता है. Post पढने बाद Comment Box में अपना Feedback जरूर दें.
मृत सागर के बारे में Interesting Fact :
मकर संक्रांति से जुड़ी रोचक बातें, जो शायद आप नहीं जानते
सूर्य-शनि से जुड़ा पर्व कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे तथा दो माह तक रहते हैं। शनि देव चूंकि मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
पिता को तिलक लगायें सूर्य और शनि की पोजीशन इस दिन बदलती है, लिहाजा इसे पिता पुत्र पर्व के रूप में भी देखा जाता हे इस दिन पुत्र को पिता को तिलक लगाकर स्वागत करना चाहिए।
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मलमास समाप्त होता है इसी दिन मलमास भी समाप्त होने तथा शुभ माह प्राम्भ होने के कारण लोग दान पुण्य से अच्छी शुरुआत करते हैं।
गंगाजी भागीरथ के पीछे आयी थीं मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। इसीलिये इस दिन लोग गंगा स्नान भी करते हैं।
पूर्वजों को तर्पण कहा जाता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है.
महाभारत से संबंध महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था।
भगवान विष्णु ने किया असुरों का अंत इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी व सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है।
पोंगल इस त्यौहार को अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल के रूप में तो आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व केरला में यह पर्व केवल संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है
पहाड़ों पर चढ़ते समय लोग आगे और उतरते समय पीछे की ओर क्यों झुक जाते हैं :
जब हम सीधे खड़े होते हैं, तो हमारा गुरुत्व केंद्र हमारे पैरों के बीच में होता है। इसी के कारण हम संतुलित होकर खड़े रहते हैं। सामान्य मैदान में चलने पर यह गुरुत्व केंद्र चलने की दिशा में बदलता रहता है, लेकिन यह संतुलित अवस्था से इधर – उधर विचलित नहीं होता है। परन्तु जब हम मैदान की अपेक्षा पहाड़ की ऊंचाई पर चढ़ते हैं, तो हमारा गुरुत्व केंद्र आगे की ओर बढ़ जाता है। अतः इसे संतुलित करने के लिए हमें भी आगे की ओर झुकना पड़ता है, अन्यथा हम संतुलन खोकर गिर सकते हैं। ठीक इसी तरह जब हम पहाड़ से नीचे की ओर उतर रहे होते हैं , तो हमारा गुरुत्व केंद्र पीछे की ओर बढ़ जाता है, अतः इसे सन्तुलित करने के लिए हमें पीछे की ओर झुकना पड़ता है। इसलिए पहाड़ों पर चढ़ते – उतरते समय हम गिर न जाएँ, इसके लिए पहाड़ों पर चढ़ते समय आगे की ओर और उतरते समय पीछे की ओर झुकना आवश्यक होता है।
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Is Post me aap kuchh aise Interesting Facts ke bare me jane jise aap shayad nahi jante the. Mai Post ke starting me bhi batayi hu Post ka feedback aap nahi dete ho so Post padhne ke baad apna feedback jaroor de. Mai lagatar aise hi Posts ke sath aap se milti rahungi.
waao,,,, nice infrormation,,, Thanks For sharing