Public Finance Kya Hai. इसमें दो शब्द है, पहला पब्लिक और दूसरा फाइनेंस पब्लिक का मतलब लोगों से है और फाइनेंस का मतलब तो पता ही है. यदि नहीं तो फाइनेंस क्या है? इसके बारें में एक पोस्ट पब्लिश किया जा चुका है. यहाँ एक बात समझना बहुत जरूरी है. पब्लिक मतलब लोग मतलब लोगों का पैसा तो इसका मतलब क्या है? पब्लिक मतलब जनता है और जनता किसे चुनती है? जनता सरकार को चुनती है. मतलब पब्लिक फाइनेंस में सरकार के फाइनेंसियल सिस्टम के बारें में बताया गया है. सरकार की आमदनी, खर्च और यदि किसी कारनवश सरकार को कर्ज लेना हुआ तो कर्ज कहाँ से लेती है.
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Public Finance Kya Hai
जिस तरह एक व्यक्ति का आय और व्यय का लेखा जोखा होता है. ठीक उसी तरह सरकार के पैसे का भी लेखा जोखा होता है. यहाँ तरीका थोड़ा अलग है. एक व्यक्ति अपने पैसे का हिसाब खुद ही रखता है. लेकिन, सरकार के अलग अलग मंत्रालय का हिसाब अलग होता है और बजट के समय पर आपने देखा होगा सभी मंत्रालय का बजट अलग होता है. किसी भी व्यक्ति को सरकार को अपना आय व्यय का हिसाब इनकम टैक्स रिटर्न में देना होता है. जब व्यक्ति को पर्सनल फाइनेंस का हिसाब देना होता है, तो कोई भी नागरिक सरकार से पब्लिक फाइनेंस की जानकारी RTO की मदद से ले सकता है.
According to Dalton, “Public Finance is concerned with the income and expenditure of the public authorities”.
According to Philip Tailor, “Public Finance deals with the finance of the Public as an organized group under the institution of government”.
उम्मीद करता हूँ, Public Finance Kya Hai इसका का मतलब समझ आ गया होगा. इसे विस्तार से समझने की जरूरत है. फाइनेंस क्या है और कैसे काम करता है. जब यह पोस्ट पब्लिश किया गया तो इसके तीन पार्ट के बारें में बताना जरूरी समझा क्यूंकि, यदि किसी विषय के बारें में जानना है तो पूरा जानो या तो नहीं जानो.
पब्लिक फाइनेंस क्या है?
पब्लिक फाइनेंस को हिंदी में सार्वजनिक वित्त कहते हैं. खासकर फाइनेंस में कई शब्दों का अंग्रेजी में ही बोलै और लिखा जाता है. हमारी हिंदी बहुत अच्छी है. लेकिन, सिर्फ हिंदी अच्छी है यह अच्छी बात नहीं है. हमें अंग्रेजी तो जानना ही चाहिए. क्यूंकि, अंग्रेजी एक ग्लोबल लैंग्वेज है जो सभी जगह बोली जाती है और घूमने का शौक किसे नहीं है, और इसके लिए अंग्रेजी आना बहुत जरूरी है. क्यूंकि, यदि अंग्रेजी नहीं आती है तो हो सकता है आपको भारत से बहार या भारत में भी कई जगह जाने पर वहां के लोगों से बात करने में परेशानी होगी. अंग्रेजी के लिए आप इंग्लिश की कोचिंग ले सकते हैं या यूट्यूब पर कई वीडियो है जिससे सीख सकते हैं.
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सरकारी अर्थव्यवस्ता में सार्वजनिक वित्त की ही भूमिका है, यह सरकारी राजस्व और सरकारी प्राधिकारियों के सरकारी व्यय का मूल्यांकन कर वांछनीय प्रभाव प्राप्त करने और अवांछनीय लोगों से बचने के लिए एक दूसरे का समायोजन करती है. सरकार संसाधनों के आवंटन, आय के वितरण और अर्थव्यवस्था के स्थिरीकरण के अनुसार बाजार की असफलता को रोकने में मदद करती है. जब कभी ऐसा नहीं हुआ तो आर्थिक मंदी के दौर का सामना करना पड़ा है. सरकारी अर्थव्यवस्था को बनाने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ धन का लें दें करते रहती है. सुना होगा आपने कभी हम पर तुम और कभी तुम पर हम तो ऐसा ही कुछ यहाँ भी होता है. कभी केंद्र सरकार राज्य सरकार की मदद करती है तो कभी केंद्र को राज्य से मदद लेना होता है. सरकार के कमाई का मुख्य स्रोत इनकम टैक्स और बंदरगाहों, हवाई अड्डे सेवाओं, अन्य सुविधाओं से उपयोगकर्ता शुल्क, कानून तोड़ने से उत्पन्न जुर्माना; लाइसेंस और फीस से राजस्व, सरकारी प्रतिभूतियों (Stamp Paper) की बिक्री है.
Scope Of Public Finance
इसमें पब्लिक फाइनेंस के घटक की जानकारी शामिल की गई है. सरकार को पैसा कहाँ से आता है, सरकार खर्च कहाँ करती है, जरूरत पड़ने पर सरकार कर्ज कहाँ से लेती है और आखिरी में यह पूरा मामला देखता कौन है. एक व्यक्ति का आय व्यय का लेखा जोखा वह खुद ही देखता है. लेकिन, क्या किसी बिजनेसमैन का लेखा जोखा वह खुद देखता है? क्या मुकेश अम्बानी, सुनील भारती मित्तल, अमिताभ बच्चन, रतन टाटा, मार्क ज़ुकेरबर्ग, सलमान खान, अपने आय व्यय का हिसाब खुद रखते हैं? बिलकुल नहीं, इसके लिए इन्होनें एक किसी बहुत बड़े यूनिवर्सिटी के एकाउंट्स टॉपर को रख रखा है तो क्या सरकार के मंत्री खुद से ये हिसाब रख सकते हैं क्या? यह तो असंभव है. क्यूंकि, ज्यादातर मंत्री फ़र्ज़ी डिग्री सिर्फ दिखने के लिए रख लेते हैं. कुछ के पास यदि होती भी है तो वह कर नहीं सकता और यदि किया तो सिर्फ घोटाला ही करेगा.
पब्लिक फाइनेंस चार भाग में बताया गया है. जैसा की इकोनॉमिस्ट बताते है, किसी भी फाइनेंस में आय और व्यय का लेखा जोखा होता है. ऐसा ही सरकार के साथ होता है. अब सरकार राज्य हो या केंद्र हो या किसी भी स्तर पर हो. एक बात का हमेशा ध्यान रखें जब भी पब्लिक बताया जा रहा है इसका मतलब सरकार के बारें में बताया जा रहा है.
Public Revenue
पब्लिक रेवेन्यू का मतलब आय के स्रोत से है. पब्लिक (सरकार) को कितने तरीके से आमदनी होती है. क्या आप बता सकते हो, सरकार को कितने तरीके से आमदनी होती है. कमेंट में जरूर बताएं. सरकार को दो तरीके से कमाई होती है.
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- टैक्स रेवेन्यू : इसमें टैक्स से होने वाले आमदनी को दिखाया गया है. सरकार को कई तरह के टैक्स मिलते हैं. टैक्स भी दो तरीके का है.
- डायरेक्ट टैक्स : इसमें इनकम टैक्स आता है. जिसे व्यक्ति को खुद ही देना होता है. इसी माध्यम से सरकार व्यक्ति के आय और व्यय का हिसाब लेती है. यह डायरेक्ट टैक्स टैक्स पेयी को ही देना होता है. जैसे : इनकम टैक्स, कारपोरेशन टैक्स, वेल्थ टैक्स. डायरेक्ट टैक्स प्रोग्रेसिव नेचर का होता है. मतलब यह कमाई पर निर्भर करता है. पांच लाख रुपये साल के कमाने वाले व्यक्ति और पचास लाख रुपये कमाने वाले व्यक्ति दोनों को कमाई के अनुसार सरकार को टैक्स देना होगा.
- इनडायरेक्ट टैक्स : इसमें वो सभी टैक्स है जिसमें किसी वस्तु पर सरकार ने टैक्स तो लगा दिया लेकिन, यह किसी और को देना होता है. जैसे एक मैन्युफैक्चरर किसी प्रोडक्ट पर टैक्स लगा देता है और यह पास होते हुए आखिरी ग्राहक को देना होता है. यह रिग्रेसिव होता है और इसी वजह से सभी को एक जैसा टैक्स देना होता है. जैसे : यदि सरकार किसी प्रोडक्ट पर 10% का टैक्स लगाती है. तो दो लाख रुपये सालाना कमाने वाले और दस लाख रुपये सालाना कमाने वाले दोनों को ही समान टैक्स देना होगा. GST आने के पहले कई तरह का इनडायरेक्ट टैक्स देना होता था. लेकिन, अब सभी तरह का इनडायरेक्ट टैक्स GST में आ गया है.
- नॉन टैक्स रेवेन्यू : नॉन टैक्स रेवेन्यू वह राशि है जो सरकार टैक्स के अतिरिक्त अन्य साधनों से एकत्र करती है. इसमें सरकारी कंपनियों के विनिवेश से मिली राशि (Dividends Fund), सरकारी कंपनियों से मिले लाभांश और सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न आर्थिक सेवाओं के बदले मिली राशि शामिल होती है.
- टैक्स रेवेन्यू : इसमें टैक्स से होने वाले आमदनी को दिखाया गया है. सरकार को कई तरह के टैक्स मिलते हैं. टैक्स भी दो तरीके का है.
Public Expenditure
सरकार के पास कई स्रोत से पैसे आ रहे हैं तो कई जगहों पर सरकार खर्च भी कर रही है. जैसे सरकारी कर्मचारी के वेतन, यातायात, सुरक्षा, सोशल वर्क, शिक्षा, धर्म और संस्कृति, स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि, इनके अलावे कुछ और भी खर्च है. यहाँ एक और खर्च है सब्सिडी जैसे गैस पर शुरुआत से ही सब्सिडी दिया जा रहा था. लेकिन, जब से यह सब्सिडी बैंक अकाउंट में दिया जाने लगा तब इसके बारें में पता चला.
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सब्सिडी : सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकद या कर से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है. भारत जैसे कल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) में इसका इस्तेमाल लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. भारत सरकार ने आजादी के बाद से अब तक विभिन्न रूपों में लोगों को सब्सिडी दी है और दे रही है.
सरकार यह खर्च चार तरीके से करती है.
Productive : ऐसा खर्च जिसका कोई मतलब हो, यदि आप एक स्टूडेंट हो तो ऐसे जगहों पर खर्च करो जो करियर के लिए उपयुक्त है. यदि एक बिज़नेसमैन हो तो व्यवसाय को बढ़ाने में खर्च किया तो यह प्रोडक्टिव होगा.
Unproductive : ऐसा खर्च जिससे आपके करियर व्यापार में कोई मदद नहीं मिला इसका मतलब है नुक्सान हुआ. क्यूंकि यदि आप आगे नहीं बढ़ रहे हो इसका मतलब पीछे जा रहे हो.
Planned : सरकार पंच वर्षीय योजना बनती है. इसके लिए खर्च भी निर्धारित किया जाता है. ऐसा खर्च जिसका पहले से प्लानिंग होता है.
Unplanned : ऐसा खर्च जो अचानक हो जाता है. जैसे किसी पूल के निर्माण के लिए एक हज़ार करोड़ का राशि तय किया गया और पूल बनते ही भूकंप, तूफ़ान की वजह से वह पूल टूट गया तो उसे बनाने में और उससे जितना नुकसान हुआ उसकी भरपाई में कुछ पैसा खर्च हो जाता है जिसका कोई प्लान नहीं है.
Public Debt
यदि सरकार की आय खर्च से ज्यादा है तो यह अतिरिक्त बजट (Surplus Budget) है और यदि इसका उल्टा हो तो यह घाटा बजट (Deficit Budget) कहलाता है. जब आय और व्यय दोनों बराबर हो तो इसे सामान्य बजट (Normal Budget) कहते हैं. लेकिन, भारत देश में ऐसा नहीं होता है! यहाँ हमेशा घाटा बजट होता है.
जब भी घाटा बजट होगा तो कुछ कर्ज लेना हो सकता है. जैसे कोई बिज़नेसमैन व्यवसाय के लिए बैंक से लोन लेती है, वैसे ही सरकार भी व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए लोन लेती है. यह लोन दो तरीके से लिया जाता है
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Internal Debt : देश के अंदर से जो लोन लिया जाता है वह इंटरनल लोन है. जैसे किसी राज्य से या रिज़र्व बैंक से मिलने वाला लोन इंटरनल डेब्ट के अंदर आता है.
External Debt : यदि वर्ल्ड बैंक या किसी अन्य देश से मतलब देश के बाहर से मिलने वाला लोन External Debt है.
Public Administration
Public Administration को Financial Administration भी कहते है. सरकार कई जगह से पैसे इकट्ठे और खर्च करती है. जब कॉर्पोरेट फाइनेंस में भी एक फाइनेंस डिपार्टमेंट होता है. यह तो सरकार है इसके कमाई और खर्चे का हिसाब रखने के लिए कुछ लोगों की टीम होती है. इस टीम को ही Public Administration कहते हैं.
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Public Finance Kya Hai इसके बारें में हर संभव आसान शब्दों में बताने की कोशिश की गई है. उम्मीद है यह जानकारी जरूर पसंद आएगी. पब्लिक फाइनेंस से सम्बंधित कोई गिला, शिकवा, शिकायत हो तो कमेंट में जरूर बताएं.
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