What is the Code of Conduct full guide in Hindi

What is the Code of Conduct in Hindi? आचार संहिता क्या है? चुनाव शुरू होते ही यह शब्द आचार संहिता (Code of Conduct) सुनने को मिलने लगता है.

क्या आप जानते हैं आचार संहिता क्या है? आदर्श आचार संहिता क्यों और कैसे लागू की जाती है? किसी भी देश में जब चुनाव (Election) की शुरुआत होती है, उस समय कई नियम और कानून व्यवस्था में बदलाव लाया जाता है.

जिसका पालन देश में मौजूद सभी लोगों के साथ चुनाव उम्मीदवार और सभी राजनीतिक पार्टियों को भी करना होता है. इस नियम को लागू करने के बाद ही सही तरीके से चुनाव करवा पाना संभव है.

चुनाव आचार संहिता या आदर्श आचार संहिता में कई नियम में फेर बदल किया जाता है. इस पोस्ट में इसके बारें में विस्तृत जानकारी दी गई है, आचार संहिता क्या है, इसे कब, किसके द्वारा और कैसे लागू किया जाता है? इसका अनुपालन नहीं करने पर क्या परिणाम हो सकता है?

code of conduct kya hai

Table of Contents

आचार संहिता क्या है?

आचार संहिता को अंग्रेजी में Code of Conduct कहते हैं. चुनाव के समय मतलब चुनाव शुरू होने के एक महीने पहले इसे लागू किया जाता है. यह नियम और कानून व्यवस्था का एक बंडल है.

जिसमें कई दिशा निर्देश लिखा होता है. इन सभी दिशानिर्देशों का पालन देश में मौजूद सभी व्यक्ति और व्यक्ति विशेष के साथ उम्मीदवार और राजनीतिक पार्टियों और चुनाव के दिन पोलिंग एजेंट्स को भी करना होता है.

यह सांसद द्वारा पेश किया गया कोई कानून नहीं है. लेकिन, उससे कहीं ज्यादा सख्त है. इससे सम्बंधित कोई भी जानकारी भारतीय संविधान में नहीं बताई गई है बल्कि, चुनाव आयोग सही तरीके से चुनाव कार्य संपन्न कर सके इसलिए यह नियम बनाया गया है.

चुनाव के समय इसे हर हाल में पालन करना होता है. अन्यथा कई कानूनी जंजीरों में बांध सकते हो.

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आचार संहिता कब आया

देश में चुनाव महापर्व सही और सुरक्षित तरीके से किया जा सके जिससे किसी को भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो. इसी बातों को ध्यान में रखकर इसका निर्माण किया गया है.

चुनाव आयोग चुनाव के दौरान कई सैलून से इसका इस्तेमाल कर रही है. इसकी शुरुआत वर्ष 1960 में केरल विधान सभा चुनाव से किया गया था. इसके तहत चुनावी सभा, भाषण, और चुनावी गतिविधियों को काबू रखने के लिए राजनीतिक पार्टियों को निर्देश देने का काम करती है.

इसके बाद वर्ष 1962 में हुए लोकसभा चुनाव के समय आचार संहिता के बारें में मान्यता प्राप्त राजनितिक पार्टियों और राज्य सरकारों से प्रतिक्रिया ली गई थी.

इसमें सभी पार्टियों और राज्य सरकारों द्वारा सहमति दिखाई गयी और परिणामस्वरूप सभी चुनाव में इसे लागू किया जाता है. वर्ष 1979 में चुनाव आयोग ने इसमें कुछ संशोधन कर सत्ता पार्टी को चुनाव के समय अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकने का एक सेक्शन जोड़ा था.

वर्ष 2013 में सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार चुनाव घोषणापत्र को भी इसमें शामिल किया गया.

आचार संहिता का प्रमुख प्रावधान

आचार संहिता के तहत कई बातों को ध्यान में रखा गया है जो किसी भी चुनाव के दौरान होता है जैसे सामान्य आचरण, बैठक, जुलूस, मतदान दिवस, मतदान केंद्र, मतदान निरीक्षक, सत्ता पार्टी एवं चुनावी घोषणा पत्र.

सामान्य आचरण कोई भी राजनितिक पार्टी विपक्ष का आलोचना एक सीमा के अंदर ही कर सकते हैं. कोई भी राजनितिक पार्टी जातिगत या सांप्रदायिक भावनाओं का उपयोग नहीं कर सकता है.

बेबुनियाद तथ्य के आधार पर किसी उम्मीदवार की आलोचना नहीं कर सकते हो. यदि सत्यापित दस्तावेज है तभी इसके बारें में कुछ बोल सकते हो.

कुछ राजनितिक पार्टी और उम्मीदवार वोट के लिए मतदाताओं को रिश्वत या डराने का काम करते हैं यह भी  वर्जित है. इसके तहत किसी व्यक्ति के घर के बाहर प्रदर्शन या धरना आयोजन नहीं कर सकते हैं.

  • बैठक किसी भी बैठक से पहले कार्यक्रम स्थल के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को सूचित करना आवश्यक है.
  • जुलूस यदि दो या दो से अधिक उम्मीदवार एक ही रस्ते से जुलूस निकालते हैं तो जुलूस रस्ते में एक दूसरे का सामना नहीं करना चाहिए। इसके अलावे जुलूस में कोई पुतला ले जाने और उसे जलाने की अनुमति भी नहीं दी जाती है.
  • मतदान दिवस मतदान केन्द्र पर पार्टी कार्यकर्त्ता पहचान पत्र के साथ होना चाहिए। लेकिन पहचान पत्र पर पार्टी का नाम, प्रतीक या उम्मीदवार का नाम नहीं होना चाहिए.
  • मतदान केंद्र मतदाता और चुनाव आयोग के लोगों को ही मतदान केन्द्रों में प्रवेश करने की अनुमति होती है.
  • निरीक्षक चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त निरीक्षक से उम्मीदवार चुनाव संचालन संबंधित किसी भी समस्याओं का शिकायत कर सकता है.
  • सत्ता पार्टी सत्ता पार्टी किसी भी विज्ञापन के लिए सरकारी खजाने का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. सत्ता पार्टी का कोई भी मंत्री किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकता है. चुनाव लड़ रहे अन्य पार्टियां भी सार्वजनिक स्थान और रेस्ट हाउस का उपयोग कर सकती है.
  • चुनाव घोषणा पत्र इसे वर्ष 2013 में संलग्न किया गया है. यह दिशानिर्देश पार्टियों को ऐसे वादे करने से रोकता है, जो मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव डालते हैं. इसके साथ घोषणापत्रों में वादों को हासिल कैसे किया जायेगा इसका जिक्र भी करने को कहती है.

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आचार संहिता कौन लागू करता है?

किसी भी देश में चुनाव कार्य सही से संपन्न हो सके इसके लिए एक चुनाव आयोग बनाया जाता है. चुनाव आयोग का मुख्य पदाधिकारी मुख्य चुनाव आयुक्त होता है.

किसी भी चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा इसे लागू किया जाता है. आचार संहिता मतदान कार्यक्रम की घोषणा के दिन लागू किया जाता है और अधिसूचना के अनुसार चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने और परिणाम की घोषणा तक जारी रहती है.

कुल मिला कर यह समय डेढ़ से दो महीने का होता है.

भारतीय संविधन ‘आर्टिकल 324’ के अनुसार चुनाव आयोग को कुछ अधिकार दिया गया है. जिससे वह देश में ईमानदारी के साथ चुनाव संपन्न करवा सके.

इसके अलावा चुनाव आयोग को ‘रिप्रजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट’ के तहत भी कुछ अधिकार दिया गया है. चुनाव को निष्पक्ष और ईमानदारी से करवाने के लिए चुनाव आयोग को कुछ विशेष अधिकार जरूरी है.

इसीलिए चुनाव आयोग ने इस नियम के तहत सही से मतदान करवा पाती है. यदि चुनाव कार्य में कोई व्यक्ति, उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी किसी तरह का अवरोध उत्पन्न करती है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्यवाही करती है.

चुनाव आयोग की कार्यवाही अन्य सभी से बिलकुल अलग है. इसी दर की वजह से लोग चुनाव कार्य में किसी तरह का अवरोध उत्पन्न नहीं करते हैं.

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आचार संहिता का महत्वपूर्ण नियम

  • मतदान की तारीख और मतगणना दिन के 2 दिन पहले से शराब दुकानें बंद होनी चाहिए.
  • वोट के लिए पैसा देना, मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में मतदाताओं को धमकी या उसे डराना, मतदाता को मतदान केन्द्र तक लाना और वापस छोड़ना आदि पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है.
  • मतदान से 48 घंटे पहले सार्वजनिक बैठक प्रतिबन्ध कर दिया जाता है.
  • रात 10 से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर्स के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है.
  • किसी भी राजनीतिक नेता या राजनीतिक पार्टी की सभी होर्डिंग और विज्ञापन चुनाव घोषणा होते ही हटा दिया जाना चाहिए.
  • आचार संहिता लागू होते ही किसी वित्तीय सहायता / राहत की घोषणा और किसी भी कल्याणकारी योजना का वादा करना प्रतिबंधित है.
  • आचार संहिता लागू होने के बाद मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या अन्य पार्टी पदाधिकारी की तस्वीर सरकारी भवनों या परिसरों में प्रदर्शित नहीं होनी चाहिए।
  • चुनाव प्रचार के दौरान की जाने वाली रैलियों या रोड शो में सड़क यातायात में अवरोध नहीं होनी चाहिए।
  • चुनाव प्रचार के लिए भाषण, गीत या पोस्टर के रूप में पूजा स्थलों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
  • आचार संहिता उन संगठनों पर भी लागू होता है, जो स्वभाव से राजनीतिज्ञ नहीं है, लेकिन फिर भी किसी विशेष राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार का प्रचार करते हैं.

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Summary

चुनाव महापर्व को व्यवस्थित रूप से करवाने के लिए आचार संहिता जरूरी कदम है. इसके वजह से कुछ हद तक निष्पक्ष चुनाव हो पा रहा है. वर्ष 2019 में चुनाव आयोग ने Facebook Paid Advertisement पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया.

चुनाव से सम्बंधित कई बातें हैं लोगों को समझना चाहिए और सही से सही उम्मीदवार का चुनाव करना चाहिए. यदि कोई उम्मीदवार सही नहीं है तो नोटा दबाएं लेकिन किसी गलत उम्मीदवार को वोट मत दीजिये चाहे वह किसी भी राजनितिक पार्टी का हो.

आचार संघिता न हो तो राजनीतिक पार्टी की मनमानी हो जायेगी. आचार संघिता का उलंघन करने से लोग भी डरते हैं और इससे कुछ हद तक सही से चुनाव संभव हो पाता है.

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Ashu Garg

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